चांद में दाग, क्यों है or Why is there a stain in the moon

 चांद में दाग, क्यों है?

हमारे सुंदर से चांद को अगर करीब से देखा जाए तो पता चलता है कि चांद पर सिर्फ यह काले धब्बे ही नहीं बल्कि पूरा चांद अलग-अलग छोटे-बड़े साइज के खड्डों से भरा हुआ है और इन खंडों को craters कहते हैं। 


करीब 46 करोड़ साल पहले जब हमारा चांद बना था उस समय हमारे सोलर सिस्टम में काफी हलचल रहती थी छोटे बड़े पत्थर, एस्टेरॉइड, मेटियोरॉइड यहां वहां आतंक मचाते रहते थे।

 मतलब फुल उथल-पुथल। तब से यह चांद अलग-अलग तरह के पत्थरों के टकराने से पिटा हुआ है। और इसके काफी सारी craters, यह खड्डे जो आज हमें दिखाई देते हैं कई करोड़ साल पुराने हैं। 

लेकिन हमारा यह चांद, इन craters से पूरा ही भरा हुआ है तो फिर यह काले धब्बे क्या है जो हमें अलग से दिखाई देते हैं? दूर से दिखने वाले यह काले धब्बे जिन्हें Maria कहते हैं इनकी कहानी थोड़ी अलग है। 

पुराने समय में टेलीस्कोप से देखने के बाद इन काले धब्बों को चांद के समुद्र की तरह देखा जाता था।

 लेकिन विज्ञान के उन्नति होते होते हमें पता चला यह काले धब्बे पानी के समुद्र नहीं है। माना जाता है कि यह काले धब्बे चांद पर ज्वालामुखी फूटने की वजह से लावा से भरे हुए हिस्से हैं और अब यह लावा से भरे हुए हिस्से सुख कर ऐसे काले दाग जैसे दिखाई देते हैं। 

चांद के अलग अलग हिस्सों पर यह लावा क्यों निकले इसके लिए अभी तक तो यही कहा जा रहा है की बड़े-बड़े एस्टेरॉइड्स के टकराने की वजह से ही चांद के अंदर से यह लावा फूट पड़े। 



लेकिन जब चांद पर इतने craters है तो धरती पर क्यों नहीं है?

 पत्थर तो धरती पर भी टकरा सकते हैं?

 यह बात सच है धरती की शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण बल होने की वजह से एक एस्टेरॉइड के चांद के मुकाबले धरती के तरफ गिरने के ज्यादा संभावनाएं हैं। 

लेकिन फिर भी चांद के ऊपर ज्यादा craters मौजूद है धरती के मुकाबले इसका कारण काफी सिंपल है। 

सबसे पहला कारण तो धरती का वायुमंडल ही है हमारी पृथ्वी के बाहर काफी सारे गैसेस के स्तर हैं जो उसके लिए एक सुरक्षा कवच की तरह काम करती है। 

ज्यादातर मेटियोरॉइड, और एस्टेरॉइड पृथ्वी के तरफ आते आते ही हमारे वायुमंडल में ही जल जाते हैं और धरती तक पहुंच ही नहीं पाते।

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